“Matlabi Rishte Shayari” उन रिश्तों की सच्चाई को उजागर करती है, जहां उम्मीदें, प्यार और विश्वास केवल एक धोखा बन कर रह जाते हैं। इन शायरी के माध्यम से हम उन दर्द और निराशाओं को व्यक्त करते हैं, जो ऐसे मतलबी रिश्तों में महसूस होती हैं। यह शायरी हमें यह समझने में मदद करती है कि रिश्तों की असली अहमियत प्यार, विश्वास और सच्चाई में है, न कि केवल स्वार्थ में।
“मतलबी लोग रिश्तों का इस्तेमाल करते हैं,
कभी खुशियाँ, कभी ग़म उधार लेते हैं,
हम तो भूल गए थे उन्हें,
लेकिन वो हमारी यादें चुराकर रखते हैं।”

“कभी सोचा नहीं था कि रिश्ते इस तरह से बिकेंगे,
कभी दोस्ती और कभी मोहब्बत का नाम बिकेगा,
मतलबी लोग रिश्ता निभाने से पहले,
कभी खुद से भी पूछा करेंगे, क्या बिकेगा?”
“कभी हमारे बिना कुछ नहीं था,
अब हम सिर्फ़ एक विकल्प भर हैं,
मतलबी रिश्ते हर दिन कुछ नया सिखाते हैं,
मूल्य बढ़ जाने पर वो कभी छोडते नहीं हैं।”
“रिश्ते जब तक समझ में आते हैं,
तब तक उनका मतलब बदल चुका होता है,
मतलबी लोग खुद को भूलकर,
दूसरों को धोखा दे चुके होते हैं।”
“रिश्ते एक दिन टूटते हैं,
जब समझ आता है कि वो सिर्फ़ मतलब के थे,
हमने उम्मीदें लगाईं थी उनसे,
पर वो तो सिर्फ़ अपने ही फायदें के थे।”
रिश्तों का मतलब समझा नहीं था कभी,
लेकिन अब हर चेहरा बस एक सवाल लगता है,
कभी सच्चे थे जो अपने,
अब वही मतलबी होते जा रहे हैं।”
“मतलबी रिश्तों की तलब तो कभी नहीं थी,
पर कभी खुद को अकेला पाया तो उनका साथ याद आया था।
क्या करें, हमारी किस्मत ही कुछ ऐसी थी,
जो हमें हमेशा उनसे दूर कर आई।”
“रिश्ते उस वक्त मायने रखते हैं,
जब वो बिना स्वार्थ के होते हैं,
लेकिन मतलबी लोग तो अपने फायदे के लिए,
हर रिश्ता बना लेते हैं और तोड़ते हैं।”
“कभी रिश्ते अच्छे लगते थे,
अब बस उनका मतलब समझ में आता है,
जो कभी अपना कहते थे,
अब वही दिल के नहीं, बस स्वार्थ के होते हैं।”
“क्या पता था रिश्ते सिर्फ़ दिखावे के होते हैं,
जब जरूरत पड़ी तो सारे प्यार के खोखले होते हैं,
जो साथ थे कभी जीवन के सफर में,
वही अब बस दूरी और फासले होते हैं।”
“मतलबी रिश्ते होते हैं बड़े अजीब,
जो तुम्हारे सामने होते हैं,
कभी खड़े होते हैं, कभी चुप रहते हैं,
और जब जरूरत हो तो दूर होते हैं।”
“रिश्तों के नाम पर सिर्फ़ धोखा मिला,
मतलब की दुनिया में सब कुछ खोखा मिला,
हमने प्यार से निभाए थे जो रिश्ते,
वो मतलबी निकल आए, बस दिल का दिला।”
“कभी हमारी खामोशी पर हंसी उड़ाई थी,
अब वही लोग हमारी यादों में खोई हैं,
मतलबी रिश्तों की कहानी यही है,
जो दिल से कहते थे ‘हम हमेशा तुम्हारे पास हैं।'”
“जो लोग कहते थे तुम्हारे बिना कुछ नहीं,
वही लोग अब तुम्हारे बिना जीने लगे हैं,
रिश्तों की हकीकत यही होती है,
कुछ लोग सिर्फ़ मतलब के लिए ही मिलते हैं।”
“दूसरों के दुखों से कोई फर्क नहीं पड़ता,
जब तक उनका फायदा न हो,
मतलबी रिश्तों में यही सच्चाई है,
दिल से नहीं, बस स्वार्थ से काम होता है।”
“मतलबी रिश्ते कभी निभाए नहीं जाते,
जब तक तुम्हारी ज़रूरत है, तब तक साथ रहते हैं,
फिर जब वो दूर हो जाते हैं,
तो सच्ची पहचान मिलती है कि असली कौन था।”
“रिश्तों की कीमत जब समझ आई,
तब समझ आया कि वो तो बस फायदे के थे,
जो कभी कहते थे ‘हमेशा तुम्हारे साथ’,
वो मतलबी रिश्ते आज खोखले थे।”
“कभी जो दिल से चाहते थे हमें पास,
आज वो ही हमें दूर करने में हैं खास,
मतलबी रिश्तों का यही होता है सच,
वो सिर्फ़ अपनी जरुरत पर दिखाते हैं हमसे प्यार।”
“रिश्तों की भी अब कीमत नहीं रही,
मतलबी लोग हर रास्ते में मिलते हैं,
जो कहते थे ‘हमेशा तुम हमारे हो’,
वहीं अब बस अपनी राह पर चलते हैं।”
“एक समय था जब हमारे लिए सब कुछ थे,
अब वही लोग हमें नजरअंदाज करते हैं,
मतलबी रिश्तों की सच्चाई यही है,
वो सिर्फ़ तभी पास आते हैं जब उन्हें कुछ चाहिए होता है।”
“हमने तो दिल से निभाए थे रिश्ते,
पर कुछ लोग स्वार्थ से अपने मतलब को देखे थे,
वो रिश्ते जो कभी दिल से जुड़े थे,
अब उनकी अहमियत सिर्फ़ हमारी जरूरत तक थी।”

“मूल्यवान होते थे वो रिश्ते जो पुराने थे,
अब बस एक मतलब के लिए थे,
जिन्हें प्यार से निभाने की कोशिश की थी,
वो अब अपनी राह पर बढ़ने लगे थे।”
“हमने जब-जब दिल से किसी को चाहा,
वो जब-जब सिर्फ़ जरूरत में ही पास आया,
मतलबी रिश्तों की यही कहानी है,
जो कभी अपना लगता था, अब वो सबसे दूर गया है।”
“वो जो कहते थे कभी दिल से,
कि हम हमेशा तुम्हारे पास हैं,
अब हमसे दूर हो गए हैं,
जब तक उनका फायदा था तब तक साथ थे।”
“रिश्ते निभाने का बस नाम लिया था,
पर जब जरूरत पड़ी तो सब कुछ बदल गया था,
वो जो कभी अपने थे, अब पास नहीं आए,
मतलबी रिश्तों ने हमें अकेला छोड़ दिया था।”
“रिश्तों में अब कोई सच्चाई नहीं रही,
सब कुछ मतलब से जुड़ी हुई है,
जो कभी कहते थे ‘हमेशा तुम्हारे साथ हैं’,
अब वो सिर्फ़ अपने फायदे के लिए आते हैं।”
“कभी अपनों के साथ हर ग़म सहा था,
लेकिन अब वही लोग सिर्फ़ स्वार्थ के लिए पास आए हैं,
मतलबी रिश्ते हर दिल को दर्द देते हैं,
जो कभी अपना लगते थे, अब अजनबी हो गए हैं।”
“रिश्ते टूटते हैं क्योंकि लोग बदलते हैं,
जो कभी सच्चे थे, अब उनके चेहरे बदलते हैं,
मतलबी रिश्तों की यही सच्चाई है,
जो कभी हमारा कहकर हमें छोड़ देते हैं।”
“जिसे मैंने अपना समझा था,
वो हर बार मुझे धोखा देता है,
मतलबी रिश्तों का यही है अंदाज,
जब तक जरूरत थी, तब तक पास था।”
“खुदा की कृपा से हमने रिश्तों को सम्मान दिया,
पर जब हमसे किसी को काम नहीं था,
तो वही रिश्ते अपने रास्ते चले गए,
क्योंकि ये सब मतलबी थे, बस एक जरूरत थी।”
“हमने रिश्तों को निभाने की सच्ची कोशिश की,
लेकिन मतलबी लोग तो अपनी जरुरत पूरी करने में लगे थे,
अब सच्चाई यही है, रिश्ते बनते-बिगड़ते रहते हैं,
स्वार्थ के कारण रिश्तों का कोई भरोसा नहीं रहता।”
“जो कभी हमारे लिए सब कुछ थे,
अब वही लोग हमें नजरअंदाज करते हैं,
मतलबी रिश्ते तो सिर्फ़ तब तक होते हैं,
जब तक उन्हें हमारी जरूरत रहती है।”
“दूसरों की खुशियों में खो जाने वाले,
जब हमारी बारी आई तो मुंह मोड़ गए,
मतलबी रिश्ते तो बस तात्कालिक होते हैं,
वो कभी नहीं सच्चे होते।”
“कभी जो हमारे सबसे अच्छे दोस्त थे,
अब वो हमें एक अजनबी सा लगते हैं,
मतलबी रिश्ते निभाने से ज्यादा,
अपनी पहचान खोने का डर होता है।”
“रिश्तों की किताब में लिखा था सच्चा प्यार,
लेकिन मतलबी लोगों ने उसे बदला खास,
जिसे हम अपना मानते थे,
अब वो ही दूर चले गए हैं, जब हमारी ज़रूरत नहीं रही।”
“कभी जो हमारे दिल के करीब थे,
आज उन्हीं से दूरियां बढ़ गईं,
मतलबी रिश्ते कभी सच्चे नहीं होते,
क्योंकि उनमें सिर्फ़ स्वार्थ छुपा होता है।”
“दिल से निभाए गए रिश्ते जब टूटते हैं,
तो उसकी चोटें जीवन भर नहीं भूलते,
मतलबी रिश्ते तो एक दिन खत्म हो जाते हैं,
लेकिन सच्चे रिश्ते हमेशा याद रहते हैं।”
“लोग कहते थे तुमसे कभी दूर नहीं जाएंगे,
लेकिन जब उन्हें हमारी जरूरत खत्म हुई,
तो वो हमें अकेला छोड़ गए,
क्योंकि उनके लिए रिश्ते सिर्फ़ एक फायदा थे।”
“रिश्ते अब वो नहीं रहे जो पहले थे,
अब बस मतलब निकलते ही वो बदल गए,
वो जो कभी अपना कहते थे,
अब अजनबी हो गए हैं।”
“मतलबी रिश्तों में कोई सच्चाई नहीं होती,
कभी तो तुम्हारे सामने रहते हैं,
और जब तुम कमजोर होते हो,
तो वही लोग तुम्हें छोड़ जाते हैं।”
“रिश्तों में सच्चाई अब कही खो गई है,
जहां स्वार्थ ने हर प्यार को धोखा दिया है,
जो कभी पास थे हमसे दिल से,
अब वो मतलबी बनकर दूर हो गए हैं।”
“रिश्ते निभाए थे सच्चे दिल से,
पर अब समझ आया, वो सिर्फ़ मतलब के थे,
जो कभी साथ चलने का वादा करते थे,
वही अब अपनी राहें बदल चुके थे।”
“कभी खुदा से दुआ थी,
कि रिश्तों में कभी कोई छल न हो,
लेकिन अब समझ आया,
वो सिर्फ़ एक स्वार्थ का खेल था।”

“जब तक तुम्हें हमारी ज़रूरत थी,
तब तक पास रहते थे,
अब जब हम कमजोर हुए,
तो सब दूर चले गए हैं।”
“हमने रिश्ते निभाए सच्चे दिल से,
पर जब हमें चाहिए था सहारा,
वो लोग सामने नहीं आए,
जो कहते थे हम तुम्हारे लिए हैं।”
“रिश्तों में सिर्फ़ एक ही सवाल है,
क्या तुम मेरे लिए तब हो जब मुझे जरूरत हो,
या जब मैं तुम्हारे बिना जी सकता हूं,
तब तुम बस अपनी राह पर चलोगे?”
“मतलबी रिश्ते कभी भी सही नहीं होते,
जो एक दिन कहें ‘तुमसे प्यार है’,
वो अगले ही दिन ‘तुमसे दूर हूं’ कहकर चले जाते हैं।”
“जो कहते थे ‘हमेशा तुम्हारे पास रहेंगे’,
आज वही लोग हमें अनदेखा कर रहे हैं,
मतलबी रिश्तों का यही है खेल,
जहां सिर्फ़ स्वार्थ का बोलबाला होता है।”
“हमने रिश्तों को हर बार दिल से निभाया,
पर वो कभी अपने मतलब के बिना नहीं रहते,
समझ आया अब हमें,
ये रिश्ता कभी सच्चा नहीं था।”
“रिश्तों में प्यार था, लेकिन फिर भी धोखा मिला,
जब हमें जरूरत थी, तब सबने मुंह मोड़ लिया,
मतलबी रिश्ते कभी भी सच्चे नहीं होते,
वो बस अपनी आवश्यकताओं के लिए रहते हैं।”
“रिश्ते निभाने का सिर्फ नाम लिया था,
पर जब हमें मुसीबत आई तो कोई नहीं आया था,
मतलबी रिश्ते हमेशा हमें धोखा देते हैं,
जो कभी हमें अपना कहते थे, वही हमें अकेला छोड़ देते हैं।”
“रिश्तों की किताब में जितने पन्ने हमने पलटे,
उतनी बार हमें मतलबी लोगों ने छलका दिया,
जो कभी हमारे थे, अब हमारी यादों से भी दूर हो गए,
क्योंकि उनके लिए हम सिर्फ एक जरुरत थे।”
“रिश्ते स्वार्थ से परे होते हैं, ये हमने कभी सोचा नहीं था,
कभी जो हमारे सबसे करीबी थे, अब वो हमारे लिए कोई नहीं थे,
मतलबी रिश्ते बस हमें नुकसान पहुँचाते हैं,
जब तक वो हमें इस्तेमाल कर सकते हैं, तब तक पास रहते हैं।”
“जो दिल से कहते थे तुम्हारी कोई कमी नहीं,
वो आज हमारी सबसे बड़ी कमी बन गए हैं,
मतलबी रिश्ते कभी सच्चे नहीं होते,
इनमें सिर्फ़ एक फायदा होता है, और फिर वो खत्म हो जाता है।”
“हमने सच्चे दिल से निभाए रिश्ते,
पर अब समझ आया, वो सिर्फ़ मतलब के थे,
जो हमें अपना कहते थे, वो अब किसी और के थे,
क्योंकि उनके लिए हम केवल जरुरत भर थे।”
“कभी हमारी ज़रूरत थी तो सब पास आए थे,
अब जब हमें उनका साथ चाहिए था, तो सब दूर हो गए,
मतलबी रिश्तों की यही सच्चाई है,
जब तक तुम्हारी जरूरत है, तब तक सब पास रहते हैं।”
“जो लोग कभी दिल से कहते थे, ‘हम हमेशा तुम्हारे पास हैं’,
आज वो हमें अनदेखा कर रहे हैं,
क्योंकि उनके लिए रिश्ते सिर्फ़ एक स्वार्थ का साधन हैं,
वो कभी सच्चे नहीं होते।”
“जब हममें ताकत थी, तो सब पास थे,
लेकिन अब जब हमें सहारे की जरूरत थी,
तो वही लोग दूर हो गए,
क्योंकि रिश्ते अब सिर्फ़ स्वार्थ से जुड़े थे।”
“हमने दिल से रिश्ता निभाया था,
लेकिन जब हमारी ज़रूरत नहीं रही,
तो वही लोग हमें छोड़ गए,
जो कभी कहते थे हमसे जुड़ा हर पल।”
“जब तक हमसे किसी को फायदा था,
तब तक वो हमारे साथ थे,
अब जब हम कुछ नहीं रहे,
तो वही रिश्ते हमारे लिए फालतू हो गए।”
“रिश्ते अगर सच्चे होते, तो कभी टूटते नहीं,
पर मतलबी लोग रिश्तों को सिर्फ़ अपने फायदे के लिए निभाते हैं,
एक दिन जब वो फायदा न हो, तो सब दूर हो जाते हैं।”
“जो कहते थे कभी तुम्हारे बिना जी नहीं सकते,
वो अब हमारी यादों में भी नहीं आते,
मतलबी रिश्तों का यही है असर,
जब तक स्वार्थ है, तब तक सब पास रहते हैं।”
“जब तक हमसे उन्हें काम था, वो पास थे,
अब जब हमें उनका सहारा चाहिए था,
तो वही लोग हमें अकेला छोड़ गए,
क्योंकि रिश्ते सिर्फ़ स्वार्थ से जुड़े थे।”
“हमने दिल से रिश्ते निभाए थे,
पर अब जब हमें उनकी जरूरत थी,
तो वही लोग हमें छोड़कर चले गए,
क्योंकि रिश्ते हमेशा मतलब के होते हैं।”
“रिश्ते निभाने का वादा किया था,
लेकिन जब मुसीबत आई, तो वो मुंह मोड़ गए,
मतलबी रिश्ते एक दिन दिखा ही देते हैं,
कि उनका प्यार सिर्फ़ जरूरत भर था।”
“जो कभी हमारे बिना नहीं रह सकते थे,
वही लोग हमें अकेला छोड़ गए,
मतलबी रिश्तों की यही सच्चाई है,
जब तक तुम्हारी जरूरत हो, तब तक तुम्हारे पास रहते हैं।”
“रिश्तों में सच्चाई खो गई है,
जो कभी हमारे सबसे करीबी थे,
आज वही लोग हमें नजरअंदाज करते हैं,
क्योंकि रिश्ते अब सिर्फ़ स्वार्थ पर आधारित हैं।”
“मतलबी रिश्ते सिर्फ अपनी जरूरत के लिए होते हैं,
जब वो पूरी हो जाती है, तो लोग दूर हो जाते हैं,
जो कभी अपना कहते थे,
वो अब हमारी पहचान भूल जाते हैं।”
“दिल से रिश्ते निभाए थे हमने,
पर अब जब मुसीबत आई,
तो वही लोग हमारी मदद के लिए नहीं आए,
क्योंकि वो रिश्ते सिर्फ़ स्वार्थ से जुड़े थे।”
“जो हमें कभी सबसे प्यारे लगते थे,
आज वही लोग हमारे लिए अनजान हो गए,
मतलबी रिश्ते केवल अपने मतलब तक ही होते हैं,
इसके बाद सब खत्म हो जाता है।”
“हमने तो रिश्ते निभाने की पूरी कोशिश की,
पर लोग सिर्फ़ तब पास आते हैं, जब उन्हें हमसे कुछ चाहिए होता है,
जब हमारी ज़रूरत खत्म होती है,
तो वही लोग हमें छोड़ जाते हैं।”
“जो कभी हमारे लिए सब कुछ थे,
आज वही लोग हमें छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्तों में सच्चाई नहीं होती,
बस एक स्वार्थ छुपा होता है, और फिर सब खत्म हो जाता है।”
“रिश्तों में प्यार हो तो उसका कोई अंत नहीं होता,
लेकिन जब स्वार्थ घुस जाए,
तो वही रिश्ते टूट जाते हैं,
जो कभी दिल से निभाए जाते थे।”
“रिश्ते हमेशा दिल से निभाने चाहिए थे,
लेकिन अब समझ आया,
जब तक उनका फायदा होता है,
तब तक वो पास रहते हैं।”
“दिल से रिश्ता निभाने वाले अब कहीं नहीं दिखते,
जो कभी हमारे सबसे करीब थे,
आज वही लोग हमारी ज़रूरत को नजरअंदाज करते हैं,
क्योंकि उनका रिश्ता सिर्फ़ मतलब का था।”
“रिश्तों की सच्चाई यही होती है,
जो लोग कहते थे ‘हमेशा तुम्हारे साथ हैं’,
वही लोग सबसे पहले दूर हो जाते हैं,
जब उन्हें हमारी मदद की जरूरत नहीं होती।”
“कभी जिनसे प्यार था,
अब वही लोग हमें अनदेखा करते हैं,
मतलबी रिश्तों में सिर्फ़ स्वार्थ होता है,
जहां दिल से निभाने की कोई उम्मीद नहीं होती।”
“हमने रिश्तों को हमेशा दिल से निभाया,
लेकिन जब हमें उनका सहारा चाहिए था,
तो वही लोग हमें छोड़ गए,
क्योंकि रिश्ते अब स्वार्थ से जुड़े थे।”
“जो कहते थे तुम्हारे बिना कुछ नहीं,
वही लोग अब हमें अकेला छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्ते सिर्फ़ एक मजाक होते हैं,
जो सच्चे नहीं होते।”
“रिश्ते सिर्फ़ जरूरत से जुड़े होते हैं,
जब तक किसी को हमें इस्तेमाल करने का फायदा होता है,
तब तक वो पास रहते हैं,
और जब जरूरत खत्म होती है, तो सब चले जाते हैं।”
“जो कभी हमारे बिना जी नहीं सकते थे,
वही लोग अब हमें नजरअंदाज करते हैं,
मतलबी रिश्ते जब तक फायदा हो तब तक रहते हैं,
फिर वो बिना बताए चले जाते हैं।”
“रिश्तों की सच्चाई है ये,
कभी जो अपना कहते थे,
वही लोग हमारे लिए पराए हो गए हैं,
क्योंकि रिश्ते अब सिर्फ़ स्वार्थ से जुड़े हैं।”
“हमने दिल से निभाए थे रिश्ते,
लेकिन मतलबी लोग हमें तब तक पास रखते हैं,
जब तक उनसे फायदा होता है,
फिर जब काम खत्म होता है, वो दूर हो जाते हैं।”
“कभी साथ रहते थे जिनके,
अब वही हमें छोड़कर चले गए हैं,
मतलबी रिश्तों में इतना फर्क होता है,
कि जब तक तुम्हें वो चाहते हैं, तब तक सब ठीक होता है।”
“रिश्ते दिल से निभाने चाहिए थे,
लेकिन लोग तो अब सिर्फ़ फायदा देखते हैं,
जो कभी पास थे, वो अब दूर हो गए हैं,
क्योंकि अब हमें उनकी ज़रूरत नहीं रही।”
“जो कभी हमसे दिल से प्यार करते थे,
वो अब हमें भूल गए हैं,
मतलबी रिश्तों में कोई सच्चाई नहीं होती,
सिर्फ़ स्वार्थ और अपनी इच्छाएं होती हैं।”
“रिश्तों में सच्चाई तभी होती है,
जब दोनों दिल से एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं,
लेकिन मतलबी रिश्तों में बस स्वार्थ का खेल चलता है,
और वही रिश्ते एक दिन खत्म हो जाते हैं।”
“दिल से निभाए रिश्ते अब दर्द दे रहे हैं,
जो कभी हमारी ज़रूरत में पास थे,
वही लोग अब हमें अनदेखा कर रहे हैं,
क्योंकि मतलबी रिश्ते सिर्फ़ फायदा तक होते हैं।”
“जो कहते थे, ‘हमेशा तुम्हारे साथ हैं’,
वो अब हमारी राहें बदल चुके हैं,
मतलबी रिश्ते सिर्फ़ तब तक होते हैं,
जब तक तुम्हारी ज़रूरत होती है।”
“रिश्तों में जब दिल से सच्चाई हो,
तो कभी भी बदलाव नहीं आता,
लेकिन जब लोग सिर्फ़ स्वार्थ से जुड़े हों,
तो वही रिश्ते जल्दी खत्म हो जाते हैं।”
“रिश्ते एक फूल जैसे होते हैं,
जो सच्चे होते हैं, वो हमेशा महकते हैं,
पर मतलबी रिश्ते कभी खिलते नहीं,
क्योंकि इनमें बस फरेब और स्वार्थ होता है।”
“जो कभी हमें हर मुश्किल में साथ देते थे,
आज वही हमें अकेला छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्ते कभी भी सच्चे नहीं होते,
ये सिर्फ़ जरूरत के वक्त पास आते हैं।”
“रिश्तों की नींव सच्चाई और विश्वास पर होती है,
लेकिन जब वो सिर्फ़ स्वार्थ पर आधारित हो,
तो वो रिश्ते कभी नहीं टिकते,
बस एक दिन टूट जाते हैं।”
“हमने जितनी बार रिश्तों को दिल से निभाया,
उतनी बार हमें धोखा मिला,
जो कभी हमारे सबसे करीबी थे,
वो अब सिर्फ़ स्वार्थ के लिए पास आए थे।”
“जो हमें अपना समझते थे,
वो आज हमें बुरा समझने लगे हैं,
मतलबी रिश्तों में कोई सच्चाई नहीं होती,
ये सिर्फ़ इस्तेमाल करने तक रहते हैं।”
“रिश्ते निभाने का हमारा तरीका सच्चा था,
लेकिन अब हम समझ गए हैं,
कि जब तक किसी को हमसे फायदा होता है,
तब तक वो पास रहते हैं।”
“जो कभी कहते थे, ‘हम तुम्हारे साथ हैं’,
आज वही लोग हमें अकेला छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्तों में सच्चाई का कहीं कोई ठिकाना नहीं होता,
बस हर कोई अपनी जरुरत पूरी करता है।”
“सच्चे रिश्तों में हमेशा विश्वास होता है,
लेकिन मतलबी रिश्ते हमेशा अपनी जरूरतों तक होते हैं,
जो कभी अपना कहते थे,
वो अब हमारी जरूरतें खत्म होते ही चले गए हैं।”
“जो कभी हमारे लिए सब कुछ थे,
वही अब हमारी जरा सी मदद के लिए नहीं आए,
मतलबी रिश्ते सच्चे नहीं होते,
ये हमेशा एक फायदा लेकर खत्म हो जाते हैं।”
“रिश्तों का मतलब सिर्फ़ प्यार नहीं होता,
बात तब समझ आई जब मतलबी रिश्ते टूट गए,
जो कभी हमारी ज़रूरत में पास थे,
अब वो हमें सिर्फ़ अपनी यादों में मिले हैं।”
“जो कभी हमारे बिना जीने की कल्पना नहीं करते थे,
वही लोग हमें छोड़कर चले गए हैं,
मतलबी रिश्ते कभी भी सच्चे नहीं होते,
जब तक स्वार्थ पूरा न हो, तब तक सब पास रहते हैं।”
“कभी जो हमसे कहकर जाते थे,
‘हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे’,
अब वही हमें अकेला छोड़ गए हैं,
क्योंकि उनके लिए हम सिर्फ़ एक जरुरत थे।”
“रिश्तों में सिर्फ़ प्यार होना जरूरी नहीं,
सच्चाई और विश्वास भी जरूरी होता है,
लेकिन जब रिश्ता स्वार्थ से जुड़ा हो,
तो वह किसी काम का नहीं रहता।”
“कभी जिनसे उम्मीदें थी,
अब वही हमें नज़रअंदाज करते हैं,
मतलबी रिश्तों में कोई सच्चाई नहीं होती,
जो कल तक अपने थे, वही आज पराए हो गए हैं।”
“रिश्ते निभाने का वादा किया था,
पर जब हमें चाहिए था उनका साथ,
तो वही लोग हमें छोड़कर चले गए,
क्योंकि रिश्ते हमेशा अपनी ज़रूरत के होते हैं।”
“हमने दिल से निभाए थे रिश्ते,
लेकिन मतलबी लोग हमें तब तक पास रखते हैं,
जब तक उन्हें हमारी मदद की जरूरत हो,
फिर वो हमें छोड़ देते हैं।”
“जो कभी हमारे सबसे अच्छे दोस्त थे,
अब वही लोग हमें अनदेखा कर रहे हैं,
मतलबी रिश्ते हमेशा हमें धोखा देते हैं,
जो कभी हमें अपना कहते थे, वही हमें अब भूला देते हैं।”
“रिश्तों में सच्चाई का कोई ठिकाना नहीं,
कभी जो हमारे सबसे करीबी थे,
वो अब हमें नजरअंदाज करते हैं,
क्योंकि उनका रिश्ता केवल स्वार्थ से जुड़ा था।”
“जब तक हमारी मदद से उन्हें फायदा था,
तब तक वो हमारे पास थे,
अब जब हमें उनकी जरूरत नहीं रही,
तो वही लोग हमें अकेला छोड़ गए।”
“कभी जिनसे दिल से रिश्ता निभाया,
अब वही लोग हमारी मदद को नजरअंदाज करते हैं,
मतलबी रिश्ते सिर्फ़ अपने फायदे तक होते हैं,
फिर वो दूर चले जाते हैं।”
“रिश्ते कभी दिल से निभाने चाहिए थे,
लेकिन अब समझ आया,
जब तक हमें उनका फायदा होता है,
वो पास रहते हैं, और फिर हमें छोड़ जाते हैं।”
“जो हमें कभी अपना कहते थे,
आज वही लोग हमारी मदद से दूर हो गए हैं,
मतलबी रिश्ते सच्चे नहीं होते,
ये सिर्फ़ स्वार्थ और उम्मीद तक चलते हैं।”
“रिश्ते दिखावे से नहीं, दिल से होते हैं,
लेकिन जब रिश्ते स्वार्थ से जुड़ जाएं,
तो वही रिश्ते कभी सच्चे नहीं होते,
जो पहले सबसे करीब थे, वही अब पराए हो जाते हैं।”
“जो कभी हमें छोड़ने का नाम नहीं लेते थे,
वही लोग हमें एक पल में भूल जाते हैं,
मतलबी रिश्ते सिर्फ़ अपने फायदे के लिए होते हैं,
इनमें कभी सच्चाई नहीं होती।”
“रिश्तों में सच्चाई तभी होती है,
जब वो बिना किसी स्वार्थ के निभाए जाएं,
लेकिन मतलबी रिश्ते हमेशा अपने मतलब तक होते हैं,
फिर वो खत्म हो जाते हैं।”
“हमने कभी किसी से कुछ नहीं चाहा था,
पर मतलबी लोगों ने हमें दर्द ही दिया,
जो कभी हमारे साथ थे,
वही अब हमारी मदद से दूर हो गए हैं।”
“रिश्तों का रंग कभी सच्चा नहीं होता,
जब तक कोई स्वार्थ ना हो, तब तक सब सही होता है,
लेकिन जैसे ही फायदा खत्म हो जाता है,
रिश्ते खत्म हो जाते हैं।”
“जो कभी हमारे लिए सब कुछ थे,
आज वही लोग हमें नजरअंदाज कर रहे हैं,
मतलबी रिश्ते हमेशा हमें धोखा देते हैं,
जब तक स्वार्थ पूरा होता है, तब तक पास रहते हैं।”
“हमने दिल से निभाए रिश्ते,
लेकिन अब हमें समझ में आया,
रिश्ते अगर केवल स्वार्थ के आधार पर हो,
तो वो कभी सच्चे नहीं हो सकते।”
“कभी जिनसे हमें उम्मीदें थीं,
आज वही हमें भूल चुके हैं,
मतलबी रिश्ते हमें सिर्फ़ हमारी जरूरतों तक साथ रखते हैं,
फिर किसी और की तलाश में चले जाते हैं।”
“कभी जो हमारी तकलीफों में साथ थे,
अब वही लोग हमें अकेला छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्ते हमेशा अपनी जरूरतों तक होते हैं,
फिर सब कुछ बदल जाता है।”
“जो कहते थे, ‘तुम्हारे बिना कुछ नहीं’,
आज वही हमें ‘कुछ नहीं’ समझने लगे हैं,
मतलबी रिश्ते बस तब तक अच्छे लगते हैं,
जब तक हमें उनसे कोई फायदा हो।”
“हमने दिल से निभाए रिश्ते,
लेकिन लोग सिर्फ़ स्वार्थ से जुड़ते हैं,
जब उनकी जरूरत पूरी हो जाती है,
तो रिश्ते भी खत्म हो जाते हैं।”
“जो लोग हमें कभी सबसे ज़्यादा प्यार करते थे,
अब वही लोग हमारे पास नहीं आते,
मतलबी रिश्ते कभी सच्चे नहीं होते,
यह सिर्फ़ अपने स्वार्थ के लिए होते हैं।”
“रिश्ते निभाने की उम्मीदें कभी खत्म नहीं होती,
लेकिन जब लोग सिर्फ़ फायदा चाहते हैं,
तब रिश्ते टूट जाते हैं, और दिल टूट जाते हैं।”
“जो हमारे लिए सब कुछ थे,
आज वही हमें नहीं देखते,
मतलबी रिश्तों में हर कोई अपना फायदा देखता है,
और जब फायदा खत्म हो, तो दिल भी टूट जाता है।”
“रिश्ते तभी सच्चे होते हैं,
जब दोनों दिल से एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं,
लेकिन मतलबी रिश्तों में कोई सच्चाई नहीं होती,
ये सिर्फ़ अपना स्वार्थ पूरा करने तक रहते हैं।”
“कभी जो हमें कभी नहीं छोड़ सकते थे,
आज वही हमें छोड़कर चले गए हैं,
मतलबी रिश्ते तब तक चलते हैं,
जब तक किसी को अपनी जरूरत पूरी नहीं हो जाती।”
“हमने जिनसे कभी उम्मीदें लगाई थी,
वही लोग हमें अकेला छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्ते सच्चे नहीं होते,
ये सिर्फ़ अपने फायदे तक होते हैं।”
“रिश्तों का असल मतलब अब समझ में आया,
जो हमें कभी अपना कहते थे,
वही अब हमें भूल गए हैं,
क्योंकि उनका रिश्ता सिर्फ़ स्वार्थ पर आधारित था।”
“जो कभी हमारी जिंदगी का हिस्सा थे,
आज वही हमें पराया बना गए हैं,
मतलबी रिश्ते तभी तक होते हैं,
जब तक कोई स्वार्थ पूरा नहीं हो जाता।”
“रिश्तों में जो सच्चाई और विश्वास होता है,
वो मतलबी रिश्तों में कभी नहीं मिल सकता,
क्योंकि ये सिर्फ़ तब तक होते हैं,
जब तक किसी को हमसे फायदा होता है।”
“जो हमसे दिल से जुड़ा था,
वही आज हमें अनदेखा कर गया,
मतलबी रिश्ते सिर्फ़ हमारी जरूरत तक होते हैं,
फिर दूर हो जाते हैं, जैसे कोई सपना टूट जाए।”
“हमने जितना भरोसा किया था,
उतना हमें धोखा मिला,
जो कभी हमारे लिए सब कुछ थे,
वही आज हमारी मदद से दूर हो गए हैं।”
“रिश्तों में अगर सच्चाई हो, तो वो कभी टूटते नहीं,
लेकिन जब स्वार्थ घुस जाए,
तो वो रिश्ते तुरंत खत्म हो जाते हैं,
जिन्हें हम कभी दिल से निभाते थे।”
“जो कहते थे, ‘तुमसे बेहतर कोई नहीं’,
अब वही हमें ‘कुछ भी नहीं’ समझते हैं,
मतलबी रिश्ते हमेशा हमारी जरूरत तक होते हैं,
फिर जैसे ही फायदा खत्म होता है, वे हमें छोड़ जाते हैं।”
“हमने दिल से रिश्ते निभाए थे,
लेकिन मतलबी लोग हमें तब तक साथ रखते हैं,
जब तक उन्हें हमारा फायदा नजर आता है,
फिर वही लोग हमें छोड़ जाते हैं।”
“जो कभी कहते थे, ‘तुम नहीं तो कुछ नहीं’,
अब वही हमें अकेला छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्ते सिर्फ़ एक स्वार्थ की तरह होते हैं,
जो किसी दिन टूट जाते हैं।”
“रिश्ते अगर दिल से जुड़े हों, तो टूटते नहीं,
लेकिन जब लोग सिर्फ़ स्वार्थ से जुड़े हों,
तो वही रिश्ते बहुत जल्दी टूट जाते हैं,
और हमें बुरा लग जाता है।”
“जो हमें सबसे ज्यादा प्यार करते थे,
वही लोग हमें अब अकेला छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्तों में कोई सच्चाई नहीं होती,
ये हमेशा सिर्फ़ अपनी जरूरतों तक होते हैं।”
“जो हमें कभी दिल से प्यार करते थे,
आज वही हमें नजरअंदाज कर रहे हैं,
मतलबी रिश्तों में कोई सच्चाई नहीं होती,
ये सिर्फ़ स्वार्थ और उम्मीद तक चलते हैं।”
“रिश्ते निभाने की चाहत में हमने खुद को खो दिया,
लेकिन मतलबी लोगों ने हमें धोखा दे दिया,
जो कभी हमारे लिए सब कुछ थे,
अब वही हमें छोड़ कर चले गए हैं।”
“रिश्ते बिना मतलब के नहीं होते,
लेकिन जब लोग सिर्फ़ फायदा देखने आएं,
तो ऐसे रिश्ते जल्दी टूट जाते हैं,
और दिल में बस दर्द छोड़ जाते हैं।”
“कभी जिनसे हम उम्मीदें रखते थे,
वही लोग हमें अब भूल गए हैं,
मतलबी रिश्ते कभी भी सच्चे नहीं होते,
ये सिर्फ़ अपने स्वार्थ के लिए होते हैं।”
“जो कभी हमारे सबसे करीबी थे,
आज वही हमें पराया बना गए हैं,
मतलबी रिश्ते तब तक अच्छे लगते हैं,
जब तक किसी को हमसे फायदा होता है।”
“कभी जो कहते थे, ‘हमेशा तुम्हारे साथ रहेंगे’,
आज वही हमें छोड़ कर चले गए हैं,
मतलबी रिश्तों में सच्चाई कभी नहीं होती,
ये सिर्फ़ जरूरत और स्वार्थ तक सीमित होते हैं।”
“हमने दिल से रिश्ते निभाए थे,
लेकिन लोग सिर्फ़ अपनी जरूरत तक हमारे पास रहते हैं,
फिर वही लोग हमें अकेला छोड़ जाते हैं,
जब उनका काम खत्म हो जाता है।”
“रिश्तों का मतलब कभी फायदा नहीं होना चाहिए,
लेकिन जब लोग सिर्फ़ स्वार्थ से जुड़े हों,
तो वो रिश्ते कभी नहीं टिकते,
और दिल हमेशा टूट जाता है।”
“जो हमारे लिए हमेशा कुछ करते थे,
आज वही हमें छोड़ कर चले गए हैं,
मतलबी रिश्ते सिर्फ़ फायदा तक होते हैं,
फिर वो हमें अकेला छोड़ जाते हैं।”
“जो कभी हमारी जिंदगी का हिस्सा थे,
अब वही हमें नजरअंदाज करते हैं,
मतलबी रिश्तों में कोई सच्चाई नहीं होती,
ये सिर्फ़ स्वार्थ के आधार पर होते हैं।”
“जब तक हमारी जरूरत थी, तब तक पास रहे,
अब जब उनका फायदा पूरा हो गया,
तो हमें अकेला छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्ते सच्चे नहीं होते।”
“जो हमें कभी अपना कहते थे,
आज वही हमें नज़रअंदाज़ कर गए हैं,
मतलबी रिश्ते कभी भी सच्चे नहीं होते,
ये सिर्फ़ जरूरतों तक चलते हैं।”
“रिश्ते केवल दिल से निभाने चाहिए,
लेकिन जब लोग सिर्फ़ अपने फायदे के लिए जुड़े हों,
तो वे कभी सच्चे नहीं होते,
क्योंकि उनका इरादा कभी साफ नहीं होता।”
“हमने जिनसे कभी उम्मीदें लगाई थीं,
वही हमें छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्ते अपनी ज़रूरतों तक होते हैं,
फिर वे दूर हो जाते हैं।”
“जो कहते थे, ‘हमेशा तुम्हारे साथ हैं’,
वही हमें अकेला छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्ते कभी भी सच्चे नहीं होते,
जब तक उनका स्वार्थ पूरा न हो जाए, तब तक रहते हैं।”
“रिश्तों में अगर दिल से प्यार हो,
तो वे कभी नहीं टूटते,
लेकिन जब स्वार्थ और फायदें का खेल होता है,
तो रिश्ते बहुत जल्दी खत्म हो जाते हैं।”
“जो हमें कभी अपनी जिंदगी का हिस्सा मानते थे,
वही आज हमें सिर्फ़ इस्तेमाल करके छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्तों में कभी सच्चाई नहीं होती,
ये सिर्फ़ एक स्वार्थी खेल होते हैं।”
“हमने जितना विश्वास किया था,
उतना हमें धोखा मिला,
जो कभी हमारे सबसे करीबी थे,
वही अब हमें पराया बना गए हैं।”
“रिश्ते सच्चे तभी होते हैं,
जब वे बिना किसी स्वार्थ के निभाए जाएं,
लेकिन मतलबी रिश्तों में सिर्फ़ उम्मीदें और स्वार्थ होते हैं,
और वह रिश्ते टूट जाते हैं।”
“जो कभी हमारी तकलीफों में साथ थे,
आज वही हमें अकेला छोड़ गए हैं,
मतलबी रिश्ते केवल अपने फायदे तक होते हैं,
फिर वे हमें भूल जाते हैं।”
What is Matlabi Rishte Shayari? | मतलबी रिश्ते शायरी क्या है?
मतलबी रिश्ते शायरी उन अनुभवों की अभिव्यक्ति है, जहाँ संबंधों में स्वार्थ, धोखा और भावनात्मक उपेक्षा का सामना होता है। यह शायरी केवल दर्द को उजागर नहीं करती, बल्कि आत्मचिंतन और जागरूकता का माध्यम भी बनती है। इसके माध्यम से हम यह समझने में सक्षम होते हैं कि सभी रिश्ते सच्चे नहीं होते, और हमें अपने जीवन में ऐसे संबंधों की पहचान करनी चाहिए जो केवल स्वार्थ पर आधारित हों।
इस प्रकार की शायरी हमें यह सिखाती है कि सच्चे और निस्वार्थ रिश्तों की खोज में सतर्क रहना आवश्यक है। जब हम अपने अनुभवों को शब्दों में ढालते हैं, तो न केवल अपने दिल का बोझ हल्का करते हैं, बल्कि दूसरों को भी ऐसे संबंधों से सावधान रहने की प्रेरणा देते हैं। अंततः, यह शायरी हमें यह याद दिलाती है कि जीवन में सच्चे, ईमानदार और निस्वार्थ रिश्ते ही वास्तविक सुख और संतोष का स्रोत होते हैं।
Frequently Asked Questions
1. Matlabi Rishte Shayari शायरी किस प्रकार के अनुभवों को दर्शाती है?
यह उन अनुभवों को शब्दों में पिरोती है जहाँ संबंधों में स्वार्थ, धोखा या अपेक्षाओं की अनदेखी होती है।
2. Matlabi Rishte Shayari कब साझा करना उपयुक्त होता है?
जब किसी के व्यवहार से मन आहत हो या संबंधों में ईमानदारी की कमी महसूस हो, तब यह भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम बन सकती है।
3. क्या यह शायरी आत्म-प्रेरणा का स्रोत बन सकती है?
हाँ, यह न केवल दर्द को व्यक्त करती है, बल्कि आत्म-चिंतन और आत्म-विश्वास को भी प्रोत्साहित कर सकती है।
4. क्या यह केवल नकारात्मक भावनाओं को ही दर्शाती है?
नहीं, यह शायरी अनुभवों की सच्चाई को उजागर करती है, जिससे पाठक अपने विचारों और भावनाओं को समझने में सक्षम होते हैं।
5. क्या यह दूसरों को उनके व्यवहार पर विचार करने के लिए प्रेरित कर सकती है?
संभव है कि यह किसी को आत्म-विश्लेषण के लिए प्रेरित करे, लेकिन इसका मुख्य उद्देश्य स्वयं की भावनाओं को समझना और व्यक्त करना होता है।